हरियाणा के यमुनानगर की एक लड़की 11 साल बाद अपने घर लौटी है। लड़की के मुताबिक़ उसे यशपाल नाम का एक साधु 11 साल पहले उठाकर ले गया था। परिजनों ने 24 अगस्त 2009 को अपनी 17 वर्षीय बेटी के लापता होने की एक रिपोर्ट भी थाने मे दर्ज कराई थी। वह साधु 11 साल तक उसके साथ दरिंदगी करता रहा। गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस ने लड़की को खोजने की काफी कोशिश की थी लेकिन लड़की का कुछ भी पता नहीं चल सका था। अचानक बरसों बाद घर पहुंची लड़की को देखकर उसके परिजनों के होश उड़ गए और जब लड़की ने अपनी आपबीती बताई तो वो अपनी बेटी को लेकर सीधे थाने पहुंच गए।
लड़की ने बताया कि उसे एक कमरे में कैद किया गया था। लड़की का आरोप है कि यशपाल उसे नशे की दवा दिया करता था। बेहोशी की हालत में यशपाल ने कई बार उससे दुष्कर्म किया। लड़की ने 2 बच्चों को भी जन्म दिया है। लड़की के मुताबिक यशपाल ने उसे धमकी दी थी कि अगर उसने भागने की कोशिश की तो वो उसे जान से मार देगा। लड़की के मुताबिक करीब एक महीने पहले यशपाल बाबा उसे एक मंदिर लेकर गया था और वो मंदिर के पास ही बने एक कमरे में रहता था। लड़की ने पुलिस को बताया कि यहां भी उसने कई बार उसके साथ दुष्कर्म किया।
धर्म सेवा के नाम पर बने ‘आश्रम’ पर पहली बार नहीं लगे हैं, आसाराम, गुरमीत सिंह राम रहीम जैसे ‘चोटी’ के संत बलात्कार के जुर्म में जेल में सड़ रहे हैं। इन बाबाओं के आश्रम में आशिर्वाद लेने जाने वाले में सिर्फ भोली भाली जनता ही शामिल नहीं है, बल्कि प्रधानमंत्री से लेकर कई राज्यों के मुख्यमंत्री तक इनके डेरे का फेरा लगा चुके हैं। ज़ाहिर ये लोग राजनेता हैं, और राजनीतिक महत्वकांक्षा के चलते ही ‘आशिर्वाद’ लेने जाते होंगे।
लेकिन सवाल उनका है जो दूसरे समुदाय के युवक से शादी जैसे ‘जायज़’ रिश्ते पर ‘लव जिहाद’ का शोर मचाकर समाज में नफरत फैलाते हैं। उन एंकर्स हैं जो इन शादियों में इंटरनेशनल ‘साजिश’ तलाशते हैं। समाज में घृणा का माहौल तैयार करते हैं, बाईक, पार्क में बैठे लड़का लड़की का धर्म पता करके उनके साथ मार पीट करते हैं। क्या उनकी अस्मिता ‘आश्रम’के कुकृमों पर नहीं जागती? दरअस्ल हक़ीक़त यही है कि इन कुंठित गिरोह को समाज में नफरत फैलाने के लिये ही संरक्षण दिया जाता है वरना बहन बेटी की इज़्जत से इन्हें कोई लेना देना नहीं है। वरना अब तक जिन आश्रमों में ऐसे जघन्य अपराध हुए हैं, ज़मींदोज़ कर दिया गया होता ....!!
(वसीम अकरम त्यागी)
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